जननायक टंट्या भील स्वाधीनता आन्दोलन के समर्पित योद्धा थे : वैभव सुरंगे

भीषण गर्मी में कवर्धा वनमंडल अंतर्गत के क्षेत्रों में कर रहे आग पर नियंत्रण गेहूं खरीद में चार जिलों में अब होगी छापामारी कल से शुरू होगा प्रत्याशियों का नामांकन रांची लोकसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी यश्विनी सहाय नामांकन हमीरपुर में प्रेक्षक ने किया स्ट्रांग रूम और मतगणना स्थल इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का निधन टोंक : नेशनल हाईवे 52 पर सड़क हादसे में दो की मौत, तीन घायल तीसरे चरण के मतदान के लिए पोलिंग पार्टियां रवाना श्रीगंगानगर : वेश्यावृति के अड्डे का पर्दाफाश,11 लोगो को किया गिरफ्तार आज का राशिफल महाराष्ट्र में मुंबई सीमा शुल्क अधिकारियों ने जब्त किया 12.74 किलोग्राम सोना रंगोली बनाकर मतदान के लिए किया जागरूक सहरसा में आयोजित हुआ स्वीप जागरूकता अभियान उदयपुर : भामाशाहों की मदद लेकर स्मार्ट टीवी लगाकर स्मार्ट क्लास रूम तेजस्वी पहुंचे उदाकिशुनगंज विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ की राष्ट्रपति की अगवानी उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग युद्धस्तर पर जुटा The Great Indian Kapil Show: खत्म हुई कपिल शर्मा के शो के पहले सीजन की शूटिंग परीक्षा परिणामों के मद्देनजर विद्यार्थियों को तनावमुक्त करने विभिन्न जिलों में कार्यशाला का आयोजन विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा मतदाताओं को वोट डालने कलेक्टर ने दिया नेवता

जननायक टंट्या भील स्वाधीनता आन्दोलन के समर्पित योद्धा थे : वैभव सुरंगे

Gauri Manjeet Singh 05-04-2022 11:00:33

गौरी मंजीत सिंह, 
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,

महू। स्वंत्रता संग्राम में जनजातियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जनजातीय वीर सेनानियों के त्याग बलिदान और उनके सपनों को व्यापक जनमानस में स्थापित करने के लिए अकादमिक संस्थाओं की भूमिका बेहद आवश्यक है। भारतीय स्वाधीनता के साथ भारतीय गौरवशाली परंपरा के संरक्षण के जनजातियों समुदाय ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जननायक टंट्या भील की सामाजिक सरोकार के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण में अग्रणी भूमिका रही है। उक्त बातें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू में ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय क्रांतिकारियों की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वनवासी कल्याण परिषद् नागपुर के अखिल भारतीय युवा कार्यप्रमुख  वैभव सुरंगे ने बतौर मुख्य वक्त कही। कार्यक्रम का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव तथा जननायक टंट्या भील शोध पीठ के अंतर्गत किया गया।
वैभव सुरंगे ने कहा कि सिद्धो कान्हो जैसे महान सेनानियों के साथ उनकी दो बहनों ने भी अपने युद्ध कौशल के साथ स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। आजादी का अमृत महोत्सव भारतीय इतिहास की वीरगाथा और राष्ट्रप्रेम को संजोने का अप्रतिम अभियान है। इतिहास को भारतीय दृष्टि से पुनर्लिखित करने की जिम्मेदारी हम सब पर है। जब पश्चिम में महिलाओं को कोई अधिकार नहीं प्राप्त थे तब भारत में रानी दुर्गावती जैसी वीरांगनाएं शासन की बागडोर संभल रही थी। भारत के ऐसे गौरवशाली इतिहास को युवाओं को जानने की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के.शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े योद्धाओं को यादकर कर उनकी गाथाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए निरंतर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। जननायक टंट्या भील की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन एक गंभीर अकादमिक
प्रयास है। आज के युवाओं को भारत की गौरवशाली इतिहास को पुनः पढ़ने की आवश्यकता है ताकि भारतीयता के तत्व को समझ सकें।
शहीद समरसता मिशन इंदौर के संस्थापक मोहन नारायण राय ने कहा कि अगर मध्य प्रदेश देश का दिल है तो बाबा साहब की जन्मस्थली महू धड़कन है। दुनियां में जो कुछ भी मौलिक है उसका जन्म भारत में ही हुआ है। स्वतंत्रता और आजादी के बीच के अंतर को समझने की प्रासंगिकता आजादी का अमृत महोत्सव में अंतर्निहित है। हल्दीघाटी का युद्ध भारतीय इतिहास में समरसता का प्रतीक है। टंट्या मामा की गौरवशाली गाथा आज भी लोकगीतों में व्याप्त है। जनजातीय समुदायों का स्वाधीनता तथा लोक संस्कृति संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इतिहास में उनकों शामिल कर विद्यार्थियों को पढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
विषय प्रवर्तन करते हुए संकायाध्यक्ष प्रो. डी.के.वर्मा ने कहा कि जनजातीय समुदाय द्वारा स्वधीनता आंदोंलन में बड़े स्तर पर भाग लिया गया। जनजातीय योद्धाओं की गाथाओं पर संगोष्ठी का आयोजन उनके योगदान पर गंभीर मंथन का परिचायक है। राम करण भंवर ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। 
संचालन डॉ. विशाल पुरोहित तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. अजय वर्मा ने दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अम्बेडकर, तथागत बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा समापन राष्ट्रगान कर किया गया।  इस अवसर पर विश्वविद्यालय के राधेश्याम जी यादव, गोविन्द सिंह, उमेश चौरसिया, कला सिंह भंवर, आशीष जाधम, निर्मल जी, संकायाध्यक्ष प्रो. देवाशीष देवनाथ, प्रो. शैलेंद्र मणि, डॉ. मनीषा सक्सेना, संकाय सदस्य प्रदीप कुमार, नमिता टोप्पो, पीठ प्रभारी डॉ. पीसी बंसल, सलाहकार टंट्या भील पीठ पुंजा लाल निनामा, शोध अधिकारी डॉ.रामशंकर, डॉ.मनोज कुमार गुप्ता, जितेन्द्र पाटीदार, संतोष गुजरे सहित अध्ययनशालाओं के संकाय सदस्य, विद्यार्थी, शोधार्थी, कर्मचारी तथा नगरवासी मौजूद रहे।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :